ललितपुर। सिविल लाइन स्थित स्याद्वाद बाल संस्कार जूनियर हाईस्कूल ललितपुर में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं०जवाहर लाल नेहरु का जन्मदिवस शनिवारीय बाल सभा के दौरान पूर्व बेला में मनाया गया। इस दौरान विद्यालय के प्रधानाध्यापक व विद्यालय के समस्त अध्यापकों ने नेहरु जी के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान विद्यालय के बच्चों ने अपने-अपने विचार रखे।कक्षा आठवीं के छात्र अजय कुशवाहा ने बताया कि नेहरु जी का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर-प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में हुआ था।इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरु व माता का नाम स्वरूपरानी था।इनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके घर पर में ही हुई थी।उनकी शादी सन् 1916 में कमलादेवी से हुई थी।वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए 15 वर्ष की उम्र में इंग्लैंड गये व वहाँ पर पढाई पूरी करने के पश्चात भारत देश वापिस लौट आयें थे।अंशिका सिंह ने बताया कि चाचा जी बच्चों से बहुत ही प्रेम करते थे।उन्होंने इंग्लैंड के क्रैम्बिज व हैरो विश्वविद्यालय से वैरिष्टर की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने सन् 1912 ई० में इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत करना शुरू कर दी थी। कक्षा आठवीं की छात्रा मान्यता चौधरी ने कहा कि नेहरु जी का मन वकालत करने में नहीं लगा उन्होंने वकालत करना छोड़ दी।उन्होंने 01अगस्त 1920 में गांधी जी के नेतृत्व में उनके असहयोग आंदोलन में भाग लिया और देश की सेवा में अपना योगदान देने लगे।वह एक उच्च कोटि के कवि भी थे। अभय राजपूत ने कहा कि चाचा नेहरु ने कहा था कि हिंदुस्तान मेरे खून में समाया हुआ है। उन्होंने गांधी जी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी सहभागिता दी।उन्हें दस बार जेल की यात्रा भी करनी पडीं। उन्होंने भारत देश को स्वतंत्र कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर देश को 15 अगस्त 1947 को आजाद कराया। देश स्वतंत्र होने के पश्चात उन्हें भारत देश का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया। कमलेश कुशवाहा ने बताया कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं को लागू करके देश में कृषि व्यवस्था में सुधार करवाया और देश को सर्वोच्च स्थान पर पहुचाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। 75 वर्ष की आयु 27 मई 1964 में उनकी मृत्यु हुई थी।चाचा जी आज भी हमारे प्रेरणा श्रोत हैं ।उनके जन्मदिन को बालदिवस के रूप में सम्पूर्ण देश मना रहा है।संचालन करते हुए शिक्षिका मेघा जैन ने बताया कि बाल दिवस के इतिहास को देखें तो भारत के पूर्व रक्षामंत्री वी के कृष्णमेनन द्वारा संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा 20 नवम्बर 1559 को अन्तर्राष्ट्रीय बाल दिवस मनाने का निश्चय किया गया।चूंकि यह दिन बच्चों जो किसी भी देश का भविष्य होते हैं के कल्याण से जुडा था। सभी देशों ने इसे सहर्ष अपनाया और जल्द ही यह दिवस विश्वस्तर पर मनाया जाने लगा।सन् 1964 के पूर्व भारत में बाल दिवस 20 नवंबर को ही मनाया जाता था। प्रधानाचार्या सीमा जैन ने कहा कि बाल दिवस के अवसर पर विद्यालयों में विभिन्न प्रतियोगितायें आयोजित की जाती हैं।इस त्योहार में बच्चों को उनके अधिकारों व कर्तव्यों के बारें में अवगत कराया जाता है।छोटे -छोटे बच्चों के मनोरंजन के लिए पिकनिक व खेलकूद का आयोजन भी किया जाता है।इस दिन रेडियो पर भी कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं व बच्चों को मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं।कार्यक्रम के समापन पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक केपी पांडे ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें नेहरु जी के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके आदर्शों पर चलें तभी हमारा बाल दिवस मनाना सफल होगा। इस दौरान नेहा जैन,मेघा जैन,नेहा बुन्देला,रीना राजपूत, दीपा रैकवार, निधि राजपूत, साक्षी वर्मा,फूलवती कुशवाहा एवं विद्यालय के बच्चे मौजूद रहे।
