Gandhi Jayanti: विश्व अहिंसा दिवस: शांति और सहिष्णुता का संदेश

Gandhi Jayanti: डॉ. महेश झा प्राचार्य। हर वर्ष 2 अक्टूबर को पूरी दुनिया में विश्व अहिंसा दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें महात्मा गांधी के अद्वितीय जीवन और उनके अहिंसा के मार्ग की याद दिलाता है। महात्मा गांधी का मानना था कि अहिंसा केवल हिंसा का विरोध करने का एक तरीका नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की एक पूर्ण कला और नैतिकता का सर्वोच्च रूप है। गांधीजी ने अपने संघर्ष और नेतृत्व के माध्यम से यह दिखाया कि अहिंसा केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी अत्यंत प्रभावशाली और निर्णायक सिद्ध हो सकती है।

अहिंसा का अर्थ केवल शारीरिक हिंसा से दूर रहना नहीं है। गांधीजी ने सिखाया कि व्यक्ति अपने भीतर की शांति स्थापित कर ही बाहरी दुनिया में शांति और न्याय की स्थापना कर सकता है। यही कारण है कि विश्व अहिंसा दिवस न केवल एक स्मरण दिवस है, बल्कि यह हमारे लिए जीवन शैली में बदलाव और सामाजिक जिम्मेदारी का अवसर भी है। आज के समय में जब दुनिया में हिंसा, आतंकवाद, सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष बढ़ते जा रहे हैं, विश्व अहिंसा दिवस का संदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

अहिंसा का संदेश युवाओं और समाज तक पहुँचाना आवश्यक

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध, हिंसा और द्वंद्व की घटनाओं में वृद्धि ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल ताकत और शक्ति से किसी समस्या का समाधान संभव नहीं है। हमें संवाद, समझौता और अहिंसात्मक प्रयासों के माध्यम से ही स्थायी शांति स्थापित करनी होगी। यही गांधीजी के विचार का सार है। अहिंसा का संदेश बच्चों, युवाओं और समाज के सभी वर्गों तक पहुँचाना अत्यंत आवश्यक है। घर-परिवार में छोटे-छोटे संघर्षों को बिना हिंसा के समाधान करने की आदत डालना बच्चों को जीवनभर के लिए नैतिक और जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

अहिंसा केवल व्यक्तिगत नैतिकता का विषय नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली हथियार भी है। गांधीजी के नेतृत्व में भारत ने अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से ब्रिटिश शासन को पराजित किया। यह इतिहास प्रमाणित करता है कि हिंसा के बजाय अहिंसात्मक मार्ग अपनाने से स्थायी और सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। आज के लोकतांत्रिक समाजों में भी अहिंसा, सहिष्णुता और संवाद की महत्ता उतनी ही प्रासंगिक है। विश्व अहिंसा दिवस पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाएंगे।

अहिंसा का संदेश केवल शांति और प्रेम का नहीं

अपने विचारों, भाषणों और कर्मों में हिंसा से दूर रहना, दूसरों के प्रति करुणा और सहानुभूति विकसित करना, और समाज में शांति एवं न्याय के लिए कार्य करना, यही इस दिवस का वास्तविक उद्देश्य है। इसके अलावा, हमें यह समझना होगा कि अहिंसा केवल विरोध करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सकारात्मक निर्माण का मार्ग भी है। आज वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय संकट, सामाजिक असमानताएं और राजनीतिक संघर्ष हमारे सामने बड़ी चुनौतियां हैं। ऐसे में अहिंसा का संदेश केवल शांति और प्रेम का नहीं, बल्कि समानता, न्याय और मानवीय मूल्यों का संदेश भी है।

जब हम एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं और संघर्षों का समाधान बातचीत और समझौते से करते हैं, तो समाज में स्थायी शांति की नींव रखी जाती है। अंततः, विश्व अहिंसा दिवस हमें यह याद दिलाता है कि शांति केवल सरकारों या नेताओं की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में इसे अपनाना आवश्यक है। हमारी छोटी-छोटी कोशिशें, जैसे गुस्से पर काबू पाना, दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना, और अपने आस-पास के वातावरण में सहयोग और समझदारी फैलाना, बड़े पैमाने पर सामाजिक शांति को बढ़ावा देती हैं।

शांति, न्याय और सहिष्णुता की दीर्घकालिक सीख

इस विशेष दिन पर हमें महात्मा गांधी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अहिंसा और करुणा को अपनाता है, तो निश्चित ही समाज में स्थायी शांति और विकास संभव है। आइए, हम सभी इस विश्व अहिंसा दिवस पर संकल्प लें कि हम न केवल हिंसा से दूर रहेंगे, बल्कि अपने शब्दों और कर्मों से भी शांति और प्रेम फैलाएंगे। विश्व अहिंसा दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन और समाज के लिए शांति, न्याय और सहिष्णुता की दीर्घकालिक सीख है। इस दिन को याद करके हम न केवल गांधीजी को सम्मानित करते हैं, बल्कि अपने समाज और भविष्य को भी सशक्त और शांतिपूर्ण बनाने में योगदान देते हैं।

(लेखक, डॉ. महेश कुमार झा प्राचार्य, पहलवान गुरुदीन प्रशिक्षण महाविद्यालय, ललितपुर उत्तर प्रदेश)

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