गौरैया को दें पर्यावरण भीषण गर्मी में हो रहा वरदान साबित
ललितपुर। घर के आंगन में बच्चों की तरह पक्षियों की चहचाहट और उनके संरक्षण के उद्देश्य को लेकर नगर की पर्यावरण प्रेमी संस्था मानव ऑर्गनाइजेशन ने सकारात्मक पहल शुरू की है। वर्ष 2012 से गौरेया संरक्षण की दिशा में की जा रही उनकी पहल रंग ला रही है। मानव ऑर्गनाइजेशन जहाँ गौरेया को बचाने के लिए निरंतर स्कूली बच्चों, कॉलेजों, विभिन्न ऑफिस आदि में घोंसले प्रदान करती है वहीं भीषण गर्मी में पशु पक्षियों को दाना पानी रखने की भी अपील करती रहती है। पिछले दिनों जहां बचपन प्ले स्कूल, एजूकेशन प्लस के बच्चों एवं स्टॉप को समर बेकिशन के कार्यक्रम में कंपनी बाग में घोंसले संस्था ने प्रदान किए थे। गौरैया को दें पर्यावरण।
पर्यावरण सचेतक डा. सुनील संचय को घोंसला भेंट किया गया
वहीं गली मोहल्ले, वृक्षों में जाकर घोंसले लगाने, बाटने का क्रम निरन्तर चलता रहता है, बुधवार को पर्यावरण सचेतक डा. सुनील संचय को भी घोंसला भेंट किया गया। मानव ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष अधिवक्ता पुष्पेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि घरों के बाहर पक्षियों का आशियाना बनाने के लिए लकड़ी के बॉक्स घोंसले बनाकर लोगों को निःशुल्क बांटते हैं, स्कुलों, ऑफिस आदि में घोंसले बाटने का क्रम निरन्तर चलता रहता है। ताकि शहरीय क्षेत्र में भी पक्षियों की चहचाहट सुनाई दे। शहरीय क्षेत्र में पेड़ों की संख्या कम हुई है। वहीं घरों में पक्षी घोंसला बनाते हैं तो लोग उन्हें हटा देते हैं। ऐसे में पक्षी गर्मी और बारिश के मौसम में परेशान हो रहे हैं। यही कारण है कि पक्षी जंगलों का रूख कर रहे हैं। शहर में पक्षियों की तादात बढ़ाने के लिए यह बॉक्स बना रहा हूं। ताकि लोग घरों के बाहर इन्हें रखे।
छतों पर पानी रखकर गौरैया को विलुप्ति से बचाएं
इनमें पक्षी रहेंगे और अपना घोंसला बनाएंगे। जिससे हर घर के आंगन में पक्षियों की चहचाहट सुनाई देगी। घरों में कृत्रिम घोंसले और छतों पर पानी रखकर गौरैया को विलुप्ति से बचाएं। भीषण गर्मी में आसमान से आग बरस रही है। गर्मी में मानव हो या फिर पशु-पक्षी सभी को ठंडे जल की तलाश रहती है। लोगों के लिए तो जगह-जगह प्याऊ व नल के साथ ही पानी की उचित व्यवस्था मिल ही जाती है, लेकिन पक्षियों को पानी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है।
मैं हमेशा ही पक्षियों के लिए छत पर दाना-पानी रखता हूंः सुनील संचय
पर्यावरण सचेतक डा. सुनील संचय ने बताया कि लोगों की जिम्मेदारी है कि वे पक्षियों के लिए दाना व पानी की उचित व्यवस्था कर अपने जिम्मेदारी का निर्वाहन करें। ताकि खुले आसमान और धूप में विचरण करने वाले पंछियों को राहत मिल सके। मैं हमेशा ही पक्षियों के लिए छत पर दाना-पानी तथा अपने आवास के बाहर पशुओं को पानी की व्यवस्था रखता हूँ। यह मेरी प्रतिदिन की दिनचर्या में शामिल है। गर्मियों के मौसम में पक्षियों को दूर-दूर तक पानी नहीं मिलता है। कई बार ऐसी स्थिति में पक्षी प्यास से मर भी जाते हैं। मानव ऑर्गनाइजेशन टीम के डॉ. राजीव निरंजन, स्वतंत्र व्यास, सचिन जैन बॉस, रविन्द्र घोष, बलराम, प्रसन्न कौशिक आदि गौरेया को बचाने की इस मुहिम में निरंतर लगे हुए हैं।
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