Lalitpur ki khabar: ललितपुर में मौनी पर्व पर निकले मौनी बाबा पारम्परिक नृत्य ने बाधा समा

Lalitpur ki khabar: ललितपुर बुन्देलखण्ड अपनी संस्कृति व परम्पराओं के लिए देश में जाना जाता है। कदम-कदम पर यहाँ आपको बुन्देलखण्डी सभ्यता में इतिहास को दोहराने वाली ऐसी कई गाथाएं मिल जाएंगी जो अपने आप में वीर, श्रगार, हास्य, करुणा रस का अनूठा संगम भर देती हैं। मौनी नृत्य भी इसी परंपरा का एक उदाहरण है। गौरतलब है कि दीपावली के अगले यानी परमा के दिन लगभग प्रत्येक गाव से युवाओं की एक टोली में कम से कम 12 लोग रहते हैं, जो अपने ही गाँव से इस उत्सव की शुरुआत करते हैं।

इस उत्सव में भाग लेने वाले सभी 12 लोग सबसे पहले गाँव के मन्दिर पर एकत्रित होते हैं, जहाँ पर सफेद या पीताम्बर वस्त्र धारण कर, पीठ पर लाल गमछे से मोर पंख बाँधे हुए और पैरों में घुंघरू, आँखों पर काजल, माथे पर टीका, गले में माला, होठों पर लाली मुस्कान अपने राधा-कृष्ण वाली लगाते हैं। इसके बाद गाँव से निकलकर 12 गाँव होते हुए किसी एक धार्मिक तीर्थ स्थल पर पहुँच कर ही मौन व्रत तोड़ते है।

Lalitpur ki khabar: दिन भर मौन मुद्रा में रहते इसलिए इन्हें मौनी बाबा कहते 

इस दौरान प्रत्येक गाँव में नृत्य करते हुए मौनी बाबा बुन्देली परम्परा का निर्वहन तो करते ही हैं। साथ ही साथ युवा पीढि़यों को भी सभ्यता से रूबरू कराते हैं। गाव में मिलने वाले धार्मिक स्थलों के सामने, किसी व्यक्ति विशेष द्वारा या जन समुदाय द्वारा उनसे आग्रह किए जाने पर ही वह नृत्य करते हैं। अलग-अलग गाव में जाते समय गाव के लोग उनके नृत्य के लिए उन्हें केला, सेब, नारियल, लाई का प्रसाद आदि फलाहार के रूप में देते हैं। चूंकि यह घर से निकलने से धार्मिक तीर्थ स्थल तक पहुंचने तक मौन धारण करते हैं, इसलिए इन्हें मौनी बाबा कहा जाता है।

महत्वपूर्ण लिंक – Nokia 7610 features

Low Price 5G Smartphone Buy Buy Now
Facebook id Click here
Home Click here
Twitter id Click here
Youtube Click here
हमारे टेलीग्राम ग्रुप से जुड़े हैं Telegram Click here

इन्हें भी देखे –

Leave a Comment

icon

We'd like to notify you about the latest updates

You can unsubscribe from notifications anytime