Maharishi Dayanand Saraswati – ललितपुर। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरोनी के तत्वाधान में वैदिक धर्म के सही मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा पिछले एक वर्ष से आयोजित व्याखान माला के क्रम में ब्रह्म यज्ञ विषय पर आचार्या डॉ. श्रुतिकीर्ति वेदरत्न कानपुर ने कहा कि वैदिक संस्कृति पर आश्रित पञ्चमहायज्ञों में ऋषियों ने ब्रह्मयज्ञ को सर्वप्रथम स्थान दिया है। देवयज्ञ अर्थात् अग्निहोत्र कर्म भौतिक उन्नति का प्रबलतम साधन है। इसी प्रकार ब्रह्मयज्ञ आध्यात्मिक उन्नति का मूलभूत केन्द्र स्थल है।
आत्मबल की प्राप्ति का साधन ही यह ब्रह्मयज्ञ
किसी भी राष्ट्र की पूर्णतया भौतिक उन्नति तब तक सम्भव नहीं है जब तक कि उस राष्ट्र की सन्तान आत्मबल से संयुक्त न हो और आत्मबल की प्राप्ति का साधन ही यह ब्रह्मयज्ञ है। नित्य प्रातः व सायं सन्धि वेला में ब्रह्मयज्ञ का विधान किया गया है। ब्रह्मयज्ञ में समस्त इन्द्रियों को बाह्यजगत से सम्बन्ध विच्छिन्न कर अपनी अन्तः चेतना को जागृत करना होता है और इसके लिए यह आवश्यक है कि हमारी सन्ध्या का समय, स्थान, आसन व वेशभूषा सुनिश्चित हो। ब्रह्मयज्ञ का ही एक भाग स्वाध्याय है। स्वाध्याय यज्ञानन्तर किया जाये तो ज्यादा फलदायी होता है।
Maharishi Dayanand Saraswati – महर्षि सिद्धांतों पर चलना होगा
Maharishi Dayanand Saraswati – इस प्रकार सन्ध्या और स्वाध्याय के द्वारा ब्रह्मयज्ञ का विधान कर मनु महाराज के अनुसार मनुष्य अपने आपको ब्रह्ममय करता हुआ आत्मबल संयुक्त हो जीवन के निहितार्थ तक बड़ी सरलता के साथ पहुंच सकता है। सारस्वत अतिथि सेवानिवृत आईपीएस पुलिस अधिकारी महात्मा ज्ञानेद्र अवाना दिल्ली एवं अध्यक्षता प्रो. डॉ.व्यास नन्दन शास्त्री, सुखवीर शास्त्री मुंबई, आचार्य आनंद पुरुषार्थी नर्मदापुरम ने संयुक्त रूप से कहा कि हम सभी को वैदिक धर्म के सही मर्म को युवा पीढ़ी से परिचित कराने के लिए जमीन पर कार्य करना होगा तभी हम महर्षि दयानंद के सिद्धांतों की रक्षा कर करा पाएंगे।
यह रहे उपस्थित
व्याख्यान माला में श्रीवेदकला संवर्धन परमार्थ न्यास राजस्थान अवनीश मैत्री, राम सिंह वर्मा, प्रवीणा मुंबई, मनोहर लाल शर्मा गुरुकुल चोटीपुरा, नवीन चंद्र उत्तराखंड, अजय अमर चौरसिया महाराजपुर, सुदेश चौरसिया सतना, रिंकी सेन, सुमन लता सेन शिक्षिका, आराधना सिंह शिक्षिका, चंद्रकांता आर्या, ईश्वर देवी, कमला हंस, अनिल नरूला, प्रो. डॉ. वेदप्रकाश शर्मा बरेली, विमलेश सिंह शिक्षक, जयपाल सिंह बुंदेला सहित सम्पूर्ण विश्व से आर्य जन जुड़ रहें हैं। संचालन संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवं आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने जताया।
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