Maharishi Dayanand Saraswati Yoga: महरौनी आर्य समाज ने समूचे बुन्देलखण्ड में पुनः वेदों की अलख जगाई- मनोज तिवारी

Maharishi Dayanand Saraswati Yoga: महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी जिला ललितपुर के तत्वावधान में वैदिक धर्म के सही मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा पिछले एक वर्ष से आयोजित आर्यों के महाकुंभ व्याख्यान माला में कर्म क्षेत्र का नियम विषय पर आचार्य अंकित प्रभाकर अजमेर परोपकारिणी सभा ने कहा कि महाभारत का युद्ध ऐतिहासिक सत्य घटना हैं जहां धर्म क्षेत्र और कुरुक्षेत्र अर्थात धर्म और अधर्म के बीच युद्ध चला,पर जब हम विचार करते हैं, तो पता चलता हैं, कि यह युद्ध तो हमारे अंदर सदैव ही शुभ और अशुभ विचारों द्वारा चलता रहता हैं।

कर्म क्षेत्र का नियम विषय पर व्याख्यान संपन्न

Maharishi Dayanand Saraswati Yoga: अशुभ विचार अर्थात जब अर्जुन युद्ध क्षेत्र में अपने स्वजनों, गुरुजनों को युद्ध के लिए तैयार देखता हैं तो श्रीकृष्ण से कहता हैं हे केशव आज मेरे मन में दयाभाव पैदा हो रहा हैं,यह मेरी कायरता नही हैं परंतु मेरा चित्र निश्चय नही कर पा रहा हैं इन्हें मरना धर्म है या अधर्म। श्री कृष्ण कहते हैं हे अर्जुन तू कर्तव्य पथ से भटक रहा हैं। तू उन पर शोक कर रहा हैं जो शोक करने योग्य है हीं नहीं और साथ ही पंडितो जैसी ज्ञान की बातें करता हैं। पंडित लोग न मरो के लिए शोक करते हैं न जीवितों के लिए। फिर में इस कर्म योग की बात कर रहा हूं उसमें कार्य प्रारंभ करने के बाद विचार करना अज्ञानियो का काम हैं पंडितो का नहीं,इसलिए तू क्षत्रियोंचित कर्म से विमुख मत हो,यही तेरा लक्ष्य है और यही तेरा धर्म हैं।

Maharishi Dayanand Saraswati Yoga: आत्मा को निरोग और स्वास्थ्य बना सकते हैं

अध्यक्षता करते हुए मनोज कुमार तिवारी टाटा भैया प्रधानाचार्य वीणा वादिनी इंटर कालेज तेरई फाटक ने कहा कि महरौनी आर्य समाज ने समूचे बुंदेलखंड में पुनः वेदों की जो अलख जगाई है वह अद्वितीय हैं। सारस्वत अतिथि दिनेश उदैनिया शिक्षक ने कहा कि योग हमारे जीवन का प्रमुख भाग हैं जिसके द्वारा अपने शरीर, मन तथा आत्मा को निरोग और स्वास्थ्य बना सकते हैं। विशिष्ट अतिथि रामकुमार दुबे शिक्षक ने कहा कि गीता का उपदेश हमे सदैव कर्तव्य पथ पर चलने के लिए प्रेरणा देता हैं। प्रसिद्ध गीतकार संगीतकार ललित मोहन साहिनी मुंबई ने भजन तू प्यार अगर,अपने प्रभु से करता है, यह बात सच है कि जीवन तेरा संवरता है। दूसरा भजन तेरा प्रेम और चिन्तन प्रभुजी, अच्छा लगता है, इक दिन तुझको पा जाऊंगा ऐसा लगता है।

व्याख्यान माला में यह रहे उपस्थित

व्याख्यान माला में डॉक्टर सुरेश पांडेय जिला पशु चिकित्सा अधिकारी ललितपुर, अवध बिहारी तिवारी केंद्रीय शिक्षक कल्याणपुरा, अवधेश प्रताप सिंह बैंस, प्रो डॉक्टर व्यास नन्दन शास्त्री बिहार, आचार्य सुखवीर मुंबई, प्रो डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली, चंद्रकांता आर्या, अनिल नरूला, प्रेम सचदेवा, सुमन लता सेन आर्य शिक्षिका, आराधना सिंह शिक्षिका, विमलेश सिंह, नवीन चंद्र आर्य उत्तराखंड, विवेक सिंह आर्य गाजीपुर, कृष्णा सोनी इंदौर, रामावतार लोधी दरौनी, सौरभ कुमार शर्मा एडवोकेट प्रयागराज, कमला हंस, चंद्र शेखर शर्मा राजस्थान, शैलेश सविता ग्राम प्रधान अलीगढ़, शिवकुमार यादव बिजौर निवाड़ी आदि जुड़ रहें हैं। संचालन संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवम आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रथ ने जताया।

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