Motivation of Sunday Special: अकड़ त्यागो! अकड़ व्यर्थ है अहंकार का पीपल भक्त की इमारत को गिरा देता है, अहंकार का पौधा अगर जीवन में उग जाये तो उसे तुरंत उखाड़ फेंको वरना कल वह तुम्हें उखाड़ फेंकेगा

Motivation of Sunday Special: महान सम्राट अशोक अपने रथ पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। रास्ते में संत को आते देखा तो वह झट से रथ से उतरे और उन्हें प्रणाम किया। उनके मंत्री ने यह सब देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा। बोलाः महाराज सारी दुनिया आपके सामने शीश झुकाती है और आपने एक नंगे फकीर के चरणों में सिर रख दिया। मुझे यह अच्छा नहीं लगा।

सम्राट अशोक मुस्करा दिए। एक दिन मौका पाकर अशोक ने मंत्री को बुलाकर कहाः ये चार थैलियां हैं। इनमें शेर, हिरण, बारहसिंगा और मनुष्य की खोपड़ियां हैं। इन्हें बाजार में बेच आओ। मंत्री चारों थैली लेकर बाजार में गया। शेर, हिरण, बारहसिंगा की खोपड़ी तो झट से बिक गई लेकिन मनुष्य की खोपड़ी कोई लेने को तैयार नहीं हुआ। मंत्री वापस आया। सब वृतांत राजा को सुनाया।

अहंकार का पीपल भक्त की इमारत को गिरा देता है

Motivation of Sunday Special: राजा ने कहाः कोई बात नहीं, जाओ, फ्री में दे आओ, और ऊपर से कुछ देना पड़े तो वह भी दे देना। मंत्री फिर गया। दुकानदार से बोलाः यों ही फ्री में लो। दुकानदार बोलाः छीं..छीं..। मुझे इसकी कोई जरूरत नहीं है। मंत्री बोलाः अच्छा ऊपर से दो हजार रूपये भी ले लो। दुकानदार बोलाः बस रहने दो। मुझे न तो तुम्हारे दो हजार रूपये चाहिए और ना यह खोपड़ी।

हर आदमी ने लेने से इंकार कर दिया। लेना तो दूर देखने से भी इंकार कर दिया। मंत्री वापिस आया और बोलाः महाराज इसे कोई फ्री में भी लेने को तैया नहीं है। तो सम्राट अशोक ने कहाः मंत्री जी यही तो मैं तुम्हें समझाना चाहता था। जरा सा दम टूट गया तो यह खोपड़ी किसी के काम नहीं आयेगी। जो किसी के काम नहीं आयेगी उसको अपने मालिक के लिए, मालिक के किसी प्यारे संत के चरणों में झुका दिया तो क्या गलती की। सिर वही है जो अपने मालिक के चरणों में झुकता है वरना वह सिर नहीं कददू है।

Motivation of Sunday Special: अकड़ व्यर्थ है इसे त्यागो

इसलिए अकड़ व्यर्थ है। अहंकार का पीपल भक्त की इमारत को गिरा देता है। आपने देखा होगा कि मकान की दीवार में कभी-कभी पौधे उग आते हैं। जब वे उगते हैं तो वह बहुत छोटे होते हैं। मामूली होते हैं। कोई सोच भी नहीं सकता कि एक दिन यही पौधा पेड़ बनेगा और मकान को तोड़ देगा। अहंकार का पौधा अगर जीवन में उग आये तो उसे तुरंत उखाड़ फेंको वरना कल वह तुम्हें उखाड़ फेंकेगा।

जागो और जागकर देखो कि जीवन में दुख है तो उसका कारण क्या है? उसके लिए जिम्मेदार कौन है? आदमी पाएगा कि दुख के लिए वह खुद ही जिम्मेदार है, लेकिन आदमी बड़ा बेईमान है। जीवन में सुख आता है, खुशी आती है, स्वर्ग आता है तो कहता है यह मेरे कारण है और जब दुख आता है तो उसके लिए कभी पत्नी को जिम्मेदार ठहरा देता है, तो कभी बच्चों को। सुख हो या दुख उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार हैं।

Motivation of Sunday Special: जीवन में कुछ कमी जरूर रहेगी

जीवन में कुछ न कुछ कमियां तो बनी ही रहेगी। ऐसा दिन कभी आने वाला नहीं है, जब जीवन में सब तरह की अनुकूलता होगी। ऐसे दिन का इंतजार करना ही बेकार है। लोग कहते हैं जब सब तरह की अनुकूलता होगी तो धर्मध्यान करेंगे। अरे भाई ऐसा दिन कभी आने वाला नहीं है। तो जीवन में कुछ न कुछ कमी जरूर रहेगी।

पैसा बहुत है तो शरीर अस्वस्थ्य है। शरीर स्वस्थ है तो पत्नी झगडालू है। पत्नी ठीक है तो बच्चों ने नाक में दाम कर रखी है। बच्चे आज्ञाकारी हैं तो धंधे में दम नहीं है, धंधा दमदार है तो वसूल बराबर नहीं। वसूली बराबर है तो पैसा टिकता नहीं है। हर हाल में कुछ न कुछ तो कमी रहेगी ही। इसलिए दुख में सुख खोजने की कला सीख लो। यही एक तरीका है हर हाल में सुखी, खुश रहने का।

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