शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जागरूकता जरूरी

15 से शुरू हुआ नवजात शिशु सप्ताह 21 नवंबर तक चलेगा

ललितपुर। नवजात शिशु के स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से 15 से शुरू हुआ 21 नवंबर तक राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह मनाया जाएगा। इस दौरान सामुदायिक एवं चिकित्सा इकाई स्तरीय गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्श दाता रवि शंकर झा ने बताया कि शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग के कर्मी के साथ स्वैच्छिक संस्थाओं से जुड़े सदस्य भी सहयोग कर रहे हैं। जनपद में नवजात शिशु की देखभाल एवं उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रत्येक प्रसव कक्ष में एनबीसीसी, बीमार बच्चों की देखभाल हेतु एफआरयू, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एनबीएसयू, कम वजन की अति गंभीर तथा समय से पूर्व जन्म में नवजात शिशुओं हेतु जिला स्तरीय स्तर पर एसएनसीयू स्थापित किया गए हैं। समुदाय स्तर पर नवजात शिशुओं की देखभाल हेतु आशा द्वारा एचबीएनसी कार्यक्रम के अंतर्गत 42 दिनों तक नवजात शिशु की देखभाल की जाती है। जनपद के जखोरा ब्लाक के बांसी गांव में तैनात आशा कार्यकर्ता नीतू ने बताया कि उसने गांव के घरों में भ्रमण कर 9 नवजात शिशुओं का तापमान, वजन सामान्य मिला है। फोडे, फुंसी, सांस लेने में दिक्कत, स्तनपान करने में असमर्थ, शरीर अधिक गर्म या अधिक ठंडा होना, शरीर सुस्त होना, शरीर में होने वाली हलचल में अचानक कमी इत्यादि का कोई भी बच्चा अभी नहीं मिला। साथ ही घर के लोगों को नवजात को छूने से पहले हाथ की सफाई का तरीका बता रही हैं। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ॰ डी सी दोहरे ने बताया कि सूचीबद्ध नवजात शिशुओं का फॉलोअप आशा कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है, जिसका सहयोगात्मक पर्यवेक्षण आशा संगिनी, ए एन एम, सीएचओ या अन्य ब्लाक अधिकारियों द्वारा किए जाने के निर्देश है।

नवजात शिशु की देखभाल के लिए यह आवश्यक

डॉ॰ डी सी दोहरे का कहना है कि प्रसव चिकित्सालय में ही कराएं और प्रसव पश्चात 48 घंटे तक मां व शिशु की उचित देखभाल हेतु चिकित्सालय में ही रुके। नवजात को तुरंत महिलाएं नहीं शरीर पहुंचकर नरम साफ कपड़े पहनाए। जन्म के 1 घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना आरंभ कर दें और 6 महीने तक स्तनपान ही कराएं। जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और विटामिन के का इंजेक्शन लगवाएं। नियमित और संपूर्ण टीकाकरण कराना आवश्यक है। नवजात की नाभि सूखी एवं साफ रखें संक्रमण से बचाएं मां एवं शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें। कम वजन एवं समय से पूर्व जन्मे शिशु का विशेष ध्यान रखें। स्तनपान जितनी बार चाहे दिन अथवा रात में बार बार स्तनपान कराएं। कुपोषण और संक्रमण से बचाव के लिए 6 महीने तक केवल मां का दूध पिलाएं शहद, घुट्टी पानी इत्यादि बिल्कुल न पिलाएं।

सप्ताह में यह होगी कि गतिविधियां

उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं का फॉलोअप चिकित्सा अधिकारी द्वारा किए जाने हेतु प्रबंध किए जाएंगे। प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं उप केंद्रों की ओपीडी क्षेत्र में नवजात शिशु देखभाल से संबंधित आई सी सामग्री प्रदर्शित की जाएगी। सरकारी चिकित्सालय में जन्मे सभी नवजातों की स्क्रीनिंग की जाएगी। उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं की चिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच किए जाने हेतु आशा एवं एएनएम द्वारा सूची बनाकर साझा किया जाएगा। सूचीबद्ध नवजात शिशु का फॉलो आशा द्वारा किया जाएगा।

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