Registry vs ownership in land: सिर्फ रजिस्ट्री नहीं! जमीन का मालिक बनने के लिए चाहिए ये 5 जरूरी दस्तावेज

Registry vs ownership in land: अगर आपने महंगे दामों में जमीन खरीदकर रजिस्ट्री करा ली है, तो यह मत समझिए की उस जमीन के अभी आप पूरी तरह से मालिक हैं, जमीन खरीदने के बाद भी अनेकों ऐसी प्रक्रियाएं होती हैं जिन्हें अगर पूर्ण नहीं करा पाया तो वह खरीदी हुई जमीन आपके हाथों से जा सकती है। भारत देश में जमीन खरीदना जितना आसान है, असल में उतना है नहीं।

अधिकतर लोग सोचते हैं कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री (Registry) हो जाने के बाद वे उस जमीन के पूरे मालिक बन गए हैं। लेकिन पूरी तरह से सच्चाई यह है कि रजिस्ट्री सिर्फ एक प्रक्रिया है, असली मालिकाना हक पाने के लिए कुछ और कानूनी दस्तावेजों की भी जरूरत होती है। अगर आप भी किसी भी जमीन के असली मालिक बनना चाहते हैं और भविष्य में किसी भी तरह की कानूनी परेशानी से बचना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए 5 दस्तावेज बनवाकर अवश्य तैयार रखेंः

Registry vs ownership in land: नामांतरण प्रमाण पत्र (Mutation Paper)

नामांकरण Mutation प्रमाण पत्र का सही मतलब है, आपके द्वारा खरीदी गई प्रॉपर्टी की Ownership को सरकार के रिकॉर्ड में आपके नाम से अपडेट कराना है। यह पूरी प्रक्रिया तहसील या नगरपालिका में होती है। नामांतरण के बिना आपकी संपत्ति का नाम सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होता। यह जरूरी दस्तावेज जमीन पर टैक्स भरने और सरकारी योजना का लाभ लेने में मदद करता है। यानि यह जरूरी है कि किसी भी जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद तुरंत नामांतरण कराना आवश्यक है, वरना आप कानूनी रूप से मालिक नहीं माने जाएंगे।

Registry vs ownership in land: खसरा-खतौनी कराना (Khasra-Khatauni)

खसरा-खतौनी प्रक्रिया एक सरकारी होती है, इसमें यह स्पष्ट होता है कि खसरा में जमीन का सर्वे नंबर और किस काम के लिए जमीन उपयोग की जा रही है, यह दर्ज होता है। जबकि खतौनी में जमीन का मालिक कौन है, यह दर्ज होता है। यह सभी दस्तावेज विशेषकर ग्रामीण और कृषि भूमि के लिये जरूरी हैं। न्यायालय में या लोन के लिये इसकी जरूरत पड़ती है। इससे जमीन के पिछले मालिकों का रिकॉर्ड भी मिलता है।

बिक्री विलेख दस्तावेज (Sale Deed)

बिक्री विलेख एक प्रकार का कानूनी दस्तावेज होता है जिससे प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री की पुष्टि की जाती है। इसके लिए रजिस्ट्री ऑफिस में पंजीकृत किया जाता है। जबकि इसमें जमीन का विवरण, खरीददारी और बिक्रेता की जानकारी होती है। Sale Deed के बिना किसी भी जमीन का मालिकाना हक साबित कराना मुश्किल हो सकता है।

कब्जा प्रमाण पत्र (Possession Letter)

जमीन को खरीदने के बाद कब्जा प्रमाण पत्र भी खरीदने वाले व्यक्ति के लिये जरूरी होता है। यह दस्तावेज सिद्ध करता है कि खरीदार को प्रॉपर्टी का वास्तविक कब्जा मिल चुका है। प्रॉपर्टी पर कब्जा होना भी मालिकाना का संकेत होता है। यह दस्तावेज बिल्डर या विक्रेता द्वारा दिए जाते हैं, खासतौर पर प्लॉट या फ्लैट के मामलों में।

बिजली बिल या हाउस टैक्स का बिल

किसी भी प्रॉपर्टी मालिक के पास बिजली, पानी, हाउस टैक्स आदि का बिल होना चाहिए। क्योंकि ये दस्तावेज दिखाते हैं कि प्रॉपर्टी का उपयोग कौन वर्तमान में कर रहा है। बैंक से लोन लेते वक्त भी ये ही दस्तावेज मांगे जाते हैं।

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