श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण, शिविरों में परीक्षा देने उमड़े शिविरार्थी

श्रद्धा पूर्वक मनाया गया श्रुत पंचमी महापर्व

ललितपुर। श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान साँगानेर जयपुर द्वारा श्रमण संस्कृति गौरव रजत महोत्सव के अन्तर्गत संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद एवं निर्यापक मुनिपुंगव श्री सुधासागरजी महाराज की पावन प्रेरणा से ललितपुर में अनेक स्थानों पर चल रहे दस दिवसीय श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिविरों में पढ़ाये गए विषय की परीक्षा देने के लिए शिविरार्थी सैकड़ों की संख्या में परीक्षा देने उमड़ पड़े। श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण.

दिगम्बर जैन पंचायत समिति के अध्यक्ष अनिल अंचल व महामंत्री डॉ. अक्षय टडैया ने बताया कि संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री 108 अजित सागर जी महाराज का ससंघ ललितपुर नगर में 5 जून को प्रातः 8ः00 बजे श्री दयोदय संरक्षण केंद्र गौशाला में मंगल प्रवेश हो रहा है, आहार चर्या के उपरांत सायंकाल 6 बजे महाराज श्री मंगल पद विहार करते हुए जैन अटामंदिर में पहुंचेंगे। उनकी जैन समाज द्वारा भव्य अगवानी होगी। श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण.

श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिविर में भाग लेने वाले शिविरार्थी को प्रमाण-पत्र दिया जाएगा

6 जून को प्रातः 8ः00 बजे क्षेत्रपाल मंदिर जी में प्रत्येक शिविर स्थान पर आयोजित परीक्षा में प्रत्येक कक्षा में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान पाने वाले शिविरार्थियों के साथ शिविर में प्रशिक्षण प्रदान करने वाले विद्वानों, संयोजकों को मुनि श्री अजितसागर जी ससंघ के सान्निध्य में श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान साँगानेर एवं दिगम्बर जैन पंचायत समिति के तत्वावधान में सामुहिक समापन समारोह में क्षेत्रपाल जैन मंदिर में पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जाएगा। शिविर में भाग लेने वाले प्रत्येक शिविरार्थी को प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।

परीक्षा में उत्साह से शिविरार्थी सम्मिलित हुए

इधर ललितपुर शहर के श्री आदिनाथ जैन मंदिर, शांतिनाथ जैन मंदिर नईबस्ती, नया मंदिर, बड़ा मंदिर, जैन मंदिर बाहुबली नगर, अटा जैन मंदिर, जैन मंदिर डोडाघाट, एम्बोरोसिया कॉलोनी में आयोजित शिविरों में परीक्षा देने सैकड़ों की संख्या में शिविरार्थी उमड़ पड़े। परीक्षार्थियों की संख्या अधिक देखते हुए 3 जून को रात्रि 7 बजे से एवं 4 जून को सुबह एवं दोपहर में परीक्षाएं आयोजित की गईं। बालबोध भाग एक, दो, भक्तामर स्तोत्र, छहढाला, तत्त्वार्थसूत्र, इष्टोपदेश, द्रव्य संग्रह, आलाप पद्धति आदि विषयों की परीक्षा में उत्साह से शिविरार्थी सम्मिलित हुए।

परीक्षा सम्पन्न कराने में शिविर प्रभारी आलोक मोदी, शिविर प्रभारी मुकेश शास्त्री, स्थानीय संयोजकगण डॉ. सुनील संचय, सचिन शास्त्री, दिलीप जैन शास्त्री, प्राचार्य विनीत शास्त्री, राजेश शास्त्री, सुनील शास्त्री, विकास शास्त्री आदि प्रमुख रूप से जुटे रहे। सांगानेर जयपुर से आए प्रशिक्षक विद्वान पं. आकाश शास्त्री चिरगांव, पं. सम्यक् शास्त्री बुढेरा, पं. निकेत शास्त्री भगवां, पंडित प्रियांशू जैन, नयन कुलवा, विकास शास्त्री रहली, आर्यन शास्त्री, पंडित नयन अहमदाबाद, पं. अनीश शास्त्री, पं. प्रवीण शास्त्री मड़ावरा, पं. निकेत शास्त्री भगवां, पं. शिवम शास्त्री खनियांधाना, ऋतिक शास्त्री हटा, जितेंद्र शास्त्री, अरिन शास्त्री, समग्र शास्त्री, गौरव शास्त्री, चेतन शास्त्री, निकेश, इंद्रकुमार, संकेत, शशांक शास्त्री आदि के निर्देशन में परीक्षाएं सम्पन्न की गईं।

श्रुतपंचमी पर्व शास्त्रों की रक्षा एवं ज्ञान की आराधना का महान पर्व

उधर शनिवार को श्रुत पंचमी महापर्व सभी मंदिरों में उत्साह और अगाध श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। मंदिरों में सुबह विधि विधान के साथ अभिषेक, शांतिधारा की गई, सरस्वती-जिनवाणी की विशेष पूजन के माध्यम से श्रुत की पूजन की गई। विद्वानों ने श्रुत पंचमी के महत्व को रेखांकित किया। पंडित आलोक शास्त्री मोदी ने कहा कि दिगंबर जैन परंपरा के अनुसार प्रति वर्ष जेष्ठ शुक्ल पंचमी तिथि को श्रुत पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन जैन आचार्य धरसेन के शिष्य आचार्य पुष्पदंत एवं आचार्य भूतबलि ने षटखंडागम शास्त्र की रचना पूर्ण की थी। जैन समुदाय में इस दिन का विशेष महत्व है।

डॉ. सुनील संचय ने जानकारी देते हुए बताया कि 2000 से अधिक वर्ष पूर्व ज्येष्ठ शुक्ला पञ्चमी के दिन प्रथम लिपिबद्ध जैन शास्त्र षट्खण्डागम का लेखन पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आज के दिन को श्रुतऋपंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो जिनवाणी अब तक श्रवण परम्परा से धरसेनाचार्य के शिष्य आचार्य भूतबलि और पुष्पदन्त तक आयी थी वह इन दोनों आचार्यों द्वारा आज लिखित रूप में सुरक्षित कर दी गयी। णमोकार मन्त्र इसी शास्त्र का मंगलाचरण है। श्रुतपंचमी पर्व ज्ञान की आराधना का महान् पर्व है।


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