Tirupati Balaji Temple: सर्वधर्म के लिए खुले हैं, तिरूपति बालाजी मंदिर के द्वार, भूतप्रेतों का साया दूर करते हैं बालाजी सरकार

Tirupati Balaji Temple: भगवान वेंकटेश को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान विष्णु यहां वेंकटेश्वर, श्रीनिवास और बालाजी नाम से प्रसिद्ध हैं। यह भारत के उन चुनिंदा मंदिरों में से एक है, जिसके पट सभी धर्मानुयायियों के लिए खुले हैं। तिरूपति बालाजी मंदिर पर पचास हजार से भी अधिक श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करने के लिए आते हैं।

यहां जाने के लिए पैदल यात्री पहाड़ी पर चढ़ने के लिए तिरूमाला तिरूपति देवस्थानम नामक एक विशेष मार्ग बनाया गया है। इसके द्वारा प्रभू तक पहुंचने की चाह की पूर्ति होती है। इसके साथ ही अलिपिरी से तिरूमाला के लिए भी एक मार्ग है। तलहटी से मंदिर तक की यात्रा करने के लिए आपको बस की सुविधा मिलती है। जिसमें डेढ़ घंटे का समय लगता है।

यहां पर सर्वदर्शनम् का मतलब है कि यहां पर सभी के लिए दर्शन। सर्वदर्शनम के लिए प्रवेश द्वार वैकुंठम् कॉम्पलेक्स है। वर्तमान में टिकट लेने के लिए यहां कम्प्यूटरीकृत व्यवस्था की गई है। यहां पर निःशुल्क व सशुल्क दर्शन की भी व्यवस्था है। साथ ही विकलांग लोगों के लिए महाद्वारम नाम मुख्य द्वार है जहां से प्रवेश की व्यवस्था है। जहां पर उनकी सहायता के लिए सहायक होते हैं।

ऐसे होते हैं तिरूपति बालाजी के दर्शन

तिरूपति बालाजी के दर्शन के लिए यात्रा के नियम पहले कपित तीर्थ पर स्नान करके कपिलेश्वर के दर्शन करें। फिर वेंकटाचल जाकर वेंकटेश्वर बालाजी के दर्शन तथा ऊपर के तीर्थों के दर्शन के बाद नीचे आकर तिरूपति में गोबिंदराज आदि के दर्शन करें। इसके बाद फिर तिरूण्चानूर जाकर पद्मावती के दर्शन करें। बालाजी के मुख्य दर्शन तीन बार ही होते हैं। पहला दर्शन विश्वरूप कहलाता है।

जो प्रभातकाल में होता है। दूसरा दर्शन मध्यान्हकाल मंे तथा तीसरा दर्शन रात के समय होता है। इनके अतिरिक्त अन्य दर्शन भी हैं, जिनके लिए विभिन्न शुल्क निर्धारित किये गये हैं। पहले तीन दर्शनों के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है। मूर्ति के पूरे दर्शन प्रत्येक शुक्रवार को प्रातः अभिषेक के समय होते हैं। मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि यह जमीन से प्रकट हुई थी। जबकि कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि वर्तमान मूर्ति सन् 280 ई. तक घने जंगल में थी। जंगल की मूर्ति को उठाकर मंदिर में स्ािापित कर दिया गया है।

Tirupati Balaji Temple: नौबीं शताब्दी में बना था यह दिव्य मंदिर

जानकारी के मुताबिक बता दें कि नौबीं शताब्दी में बने इस मंदिर में पत्थरों की छत, दीवारें और उन पर लिखी इबारतें, दीवारों पर हाथी, घोड़े और तीर-कमान के लिए आदिम आकृतियां हैरान कर देने वाली हैं। कुछ दरवाजों पर स्वर्ण जड़ा हुआ है। चलते-चलते गर्भगृह पहुंचते हैं, तो वहां आनंद निलय दिव्य विमान गुंबद के नीचे वेंकटेश खड़ी मुद्रा में दर्षन देते हैं।

तिरूपति बालाजी मंदिर केवल धार्मिक केन्द्र नहीं है, यह एक समृद्ध सांस्कृतिक केन्द्र भी है। यह अपने त्यौहारों और मेलों के लिए प्रसिद्ध है। तिरूपति का सबसे प्रमुख पर्व ब्रम्होत्सवम है जिसे मूलतः प्रसन्नता का पर्व माना जाता है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व साल में एक बार तब मनाया जाता है। यहां पर प्रसाद के रूप में अन्न प्रसाद की व्यवस्था है। जिसके अन्तर्गत चरणामृत, मीठी पोंगल, दही-चावल जैसे प्रसाद तीर्थ यात्रियों को दर्शन के पश्चात दिया जाता है।

Tirupati Balaji Temple: तिरूपति बालाजी के दिव्य मंदिर कब जाये?

तिरूपति बालाजी मंदिर जाने का अगर विचार बना रहे हैं तो आप इस दिव्य मंदिर कब जायें। बता दें कि तिरूपति चेन्नई से 130 किलोमीटर दूर स्थित है, जो एक मुख्य रेलवे स्टेशन भी है। तिरूपति की यात्रा करना आसान है। यहां से हैदराबाद, बंगलुरू और चेन्नई के लिए सड़क व रेल व्यवस्था है। तिरूपति का निकटतम हवाई अडडा रेनिगुंटा है जो तिरूपति से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद और चेन्नई से तिरूपति के लिए यहां से सीधी उड़ाने उपलब्ध हैं। यहां श्रद्धालु आसानी से पहुंच सकते हैं।

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