UP News: बड़ी खुशखबरी: उत्तर प्रदेश में बेटियों के सुनहरे भविष्य के लिए सरकार ने लिया ऐतिहासिक फैसला, जानें क्या है नई योजना

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने बेटियों को राहत देने के लिए एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम उठाया है। इस फैसले के तहत अब विवाह के बाद बेटियों को मायके के राशन कार्ड से नाम कटवाने की मजबूरी नहीं रहेगी। सरकार की नई व्यवस्था से बेटियों की राशन कार्ड यूनिट को सीधे ससुराल के राशन कार्ड में स्थानांतरित किया जा सकेगा। यह फैसला हजारों परिवारों और नवविवाहित महिलाओं के लिए बड़ी सुविधा लेकर आया है।

पहले क्यों होती थी परेशानी

अब तक की व्यवस्था में शादी के बाद बेटी का नाम मायके के राशन कार्ड से हटा दिया जाता था। इसके बाद ससुराल के राशन कार्ड में नाम जोड़ने के लिए लंबी और जटिल प्रक्रिया अपनानी पड़ती थी। कई दस्तावेज जमा करने होते थे और सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। इस पूरी प्रक्रिया में कई बार महीनों का समय लग जाता था, जिससे महिलाओं को राशन मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ता था।

नई व्यवस्था से क्या बदलेगा

सरकार ने इस समस्या को समझते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत विवाहित बेटियों के लिए यूनिट ट्रांसफर की सुविधा शुरू की है। अब बेटी की राशन यूनिट को अलग से काटने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि उसे सीधे ससुराल के राशन कार्ड में जोड़ा जा सकेगा। इससे समय की बचत होगी और राशन आपूर्ति में कोई रुकावट नहीं आएगी।

ऑनलाइन यूनिट ट्रांसफर की सुविधा

नई व्यवस्था के तहत खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट पर “यूनिट ट्रांसफर” का विशेष विकल्प उपलब्ध कराया गया है। इसके माध्यम से लाभार्थी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह डिजिटल प्रक्रिया पारदर्शिता को बढ़ाएगी और अनावश्यक भागदौड़ को खत्म करेगी। घर बैठे आवेदन होने से महिलाओं और उनके परिवारों को काफी राहत मिलेगी।

ऑफलाइन आवेदन की भी व्यवस्था

सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि जिन लोगों को ऑनलाइन आवेदन करने में परेशानी होती है, उनके लिए ऑफलाइन विकल्प मौजूद रहे। विवाहिता यूनिट ट्रांसफर के लिए आवेदन पत्र जिला पूर्ति कार्यालय या तहसील में स्थित आपूर्ति कार्यालय में जमा किया जा सकता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों और तकनीकी रूप से कम जागरूक लोगों को भी बराबर लाभ मिलेगा।

बेटियों के सम्मान और अधिकारों को मजबूती

यह फैसला केवल एक प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि बेटियों के सम्मान और अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इससे यह संदेश जाता है कि विवाह के बाद भी बेटी की पहचान और अधिकार सुरक्षित हैं। सरकार की यह पहल महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाली साबित होगी।

उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय दर्शाता है कि अब नीतियों में महिलाओं की वास्तविक समस्याओं को प्राथमिकता दी जा रही है। आने वाले समय में यह व्यवस्था बेटियों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत बनेगी और समाज में सकारात्मक बदलाव का उदाहरण पेश करेगी।

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