UP Breaking: अब सभी शिक्षकों के लिए नई व्यवस्था लागू, हाजिरी सिस्टम में बड़ा बदलाव!

UP Breaking: लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया को लेकर सरकार ने एक बार फिर बड़ा बदलाव कर दिया है। नया शासनादेश जारी होने के बाद शिक्षकों में एक नई चिंता और प्रशासनिक हलकों में हलचल बढ़ गई है। लंबे समय से विवादों में घिरी ऑनलाइन हाजिरी प्रणाली को सरकार ने नई शर्तों और सुविधाओं के साथ दोबारा लागू करने का निर्णय लिया है।

क्यों आवश्यक पड़ा यह बदलाव?

पिछले वर्ष सरकार ने शिक्षकों के लिए ऑनलाइन उपस्थिति अनिवार्य की थी, लेकिन बड़े पैमाने पर विरोध के चलते व्यवस्था को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। इसके बाद 15 सदस्यीय समिति बनाई गई थी, जिसे इस पूरे मुद्दे का अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपनी थी। समिति की सिफारिशों के आधार पर अब नई व्यवस्था लागू की जा रही है।

नई व्यवस्था की मुख्य बातें

1. निर्धारित समय के एक घंटे भीतर अनिवार्य ऑनलाइन हाजिरी

नए आदेश के अनुसार, शिक्षकों को विद्यालय खुलने के समय से लेकर अगले एक घंटे के भीतर अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज करनी होगी। एक घंटे बाद सिस्टम स्वतः लॉक हो जाएगा और हाजिरी दर्ज नहीं हो सकेगी। यह नियम प्रदेश के सभी परिषदीय स्कूलों पर समान रूप से लागू होगा।

2. नेटवर्क समस्या वाले क्षेत्रों को राहत

ग्रामीण, पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में नेटवर्क बाधाओं को ध्यान में रखते हुए डिजिटल उपस्थिति प्रणाली में बड़ा बदलाव किया गया है। ऐसे विद्यालयों में शिक्षक पहले ऑफलाइन मोड में हाजिरी लगा सकेंगे। नेटवर्क बहाल होने पर सिस्टम अपने आप ऑनलाइन अपडेट हो जाएगा, जिससे किसी शिक्षक को तकनीकी दिक्कतों की वजह से अनुपस्थित दर्ज नहीं किया जाएगा।

3. प्रधानाध्यापक की भूमिका और जिम्मेदारी बढ़ी

नई व्यवस्था में विद्यालय प्रमुख की जिम्मेदारी पहले से कहीं अधिक बढ़ा दी गई है। प्रधानाध्यापक को सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल में सभी शिक्षकों की हाजिरी समय पर दर्ज हो। यदि किसी भी स्तर पर प्रधानाध्यापक द्वारा बाधा, लापरवाही या अनियमितता पाई जाती है, तो उनका प्रभार बदलकर यह जिम्मेदारी किसी अन्य शिक्षक को सौंप दी जाएगी।

क्या बढ़ेगा टकराव?

शिक्षक संगठनों का मानना है कि तकनीकी चुनौतियां और अतिरिक्त दबाव फिर से विवाद खड़ा कर सकता है, वहीं शासन का दावा है कि नई प्रणाली अधिक पारदर्शी, लचीली और शिक्षक-हितैषी है। अब देखना यह होगा कि यह डिजिटल व्यवस्था शिक्षकों को कितनी सुविधा देती है और स्कूलों की उपस्थिति कितनी सुचारू होती है।

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