वेद समस्त संसार के, कल्याण कारक ग्रंथ

वेद समस्त संसार के… धर्म के सही मर्म

(ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वाधान में वैदिक धर्म के सही मर्म को युवा पीढ़ी से परिचित कराने के उद्देश्य से संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा पिछले एक वर्ष से आयोजित व्याख्यान माला में चलो चलें वेदों की ओर विषय पर प्रोफेसर डा. व्यास नन्दन शास्त्री वैदिक बिहार ने कहा कि यजुर्वेद 31-7 का ऋषि कहता है।

वेद समस्त संसार के. हे मनुष्यों तुम सब लोग, जिससे सब वेद उत्पन्न हुए हैं उस परमात्मा की उपासना करों, वेदों को पढ़ो और उसकी आज्ञा के अनुकूल चलके सुखी होओ। परमात्मा ने अपनी वेदवाणी द्वारा संसार में अपना, जीवात्मा का व प्रकृति का ज्ञान श्रेष्ठी के प्रारंभ में सब मनुष्यों को दिया। महर्षि मनु संविधान के स्मृति ग्रंथ में धर्म के लक्षणों में प्रथम वेद को रखते हैं। वह लिखते है वेद स्मृति सत्पुरुषों का आचार और अपने आत्मा के ज्ञान से अबिरुद्ध प्रिय आचरण ये चार धर्म के लक्षण हैं।

वेद सत्य विद्याओं का पुस्तक है

महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज के तीसरे नियम में लिखा हैं वेद सब सत्य विद्याओ का पुस्तक है। वेद का पढ़ना पढ़ाना और सुनना सुनाना सब आर्यों का परम धर्म हैं। वेद में परमात्मा के अनंत नाम गिनाए है जैसे ऋग्वेद में इंद्रिम मित्रम वरुण अग्नि अर्थात एक अद्वतीय सत्य ब्रह्म वस्तु हैं उसी के सब नाम हैं जो प्रकृति आदि दिव्य पदार्थों में व्याप्त हैं, जिसके उत्तम पालन और पूर्ण कर्म हैं। वेद की उत्पत्ति क्रम में अथर्वर्वेद में कहा जो सर्व शक्तिमान परमेश्वर हैं उसी से ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद ये चारों उत्पन्न हुए।

ऋषि के हृदय में अथर्ववेद के ज्ञान का प्रकाश किया

जो समस्त जगत का धारण कर्ता परमेश्वर हैं। उसी को तुम वेदों का कर्ता जानों। प्रश्न उठता हैं कि उस परमात्मा के जब हाथ मुंह नही हैं तो उसने वेद कैसे प्रकट किए? तब सतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में कहा उस महान शक्तिशाली परमात्मा के निःश्वास रूप में प्रकट ये चारों वेद उन तपस्वी ऋषियों के माध्यम से अग्नि ऋषि से ऋग्वेद, वायु से यजुर्वेद, आदित्य से सामवेद और अंगिरा ऋषि के हृदय में अथर्ववेद के ज्ञान का प्रकाश किया। महर्षि मनु कहते हैं इन ऋषियों ने चारों वेद महात्मा ब्रह्मा को प्राप्त कराए। धर्म के जिज्ञासुओ को वेद ही परम प्रमाण हैं। तभी तो वेद भगवान स्वयं आदेश करते हैं मंत्र श्रुत्यम चरामसी आओ हम वेदों के अनुसार आचरण करें।

याद कर लें घड़ी दो घड़ी

ब्रह्मचारिणी वेदांशी आर्या गुरुकुल चोटीपुरा ने भजन मुझ में ओम तुझमें ओम, सब में ओम समाया, सबसे कर लो प्यार जगत में, कोई नही पराया अदिति आर्या ने भजन उस प्रभु की है कृपा बड़ी, याद कर लें घड़ी दो घड़ी उर्मिला आर्या कानपुर ने भजन कब दूर प्रभु हैं हमसे कमला हंस ने भजन अच्छा हो या बुरा हो अपना मुझे बना ले उषा सूद कवियत्री मोहन आश्रम ज्वालापुर हरिद्वार ने पर्यावरण कविता जब तलक जिंदा रहेगा, आशियां दे जाएगा।

व्याखान माला में गोपाल ठाकुर मुज्जफरपुर बिहार, डा. अखिलेश सिंह यादव मैनपुरी, प्रवीण गुप्ता भिलाई, पप्पू ठाकुर बिहार, रामावतार लोधी प्रबंधक दरौनी, इंजीनियर संदीप तिवारी ललितपुर, शेर सिंह अलीगढ़, प्रेम सचदेवा दिल्ली, डा. यतेंद्र कुमार कटारिया, विमलेश सिंह, विजय सिंह निरंजन एडवोकेट प्रबंधक पाली, सुमन लता सेन आर्या शिक्षक, रीता वाष्णेय भोपाल आदि आर्य जन जुड़ रहें हैं। संचालन संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवं आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने जताया।


hi.wikipedia.org

एसी में बैठना नुकसानदायक

Leave a Comment

icon

We'd like to notify you about the latest updates

You can unsubscribe from notifications anytime