Hike in BLO Salary: BLO के 12,000 मानदेय पर सोशल मीडिया में मचा हंगामा, जानें क्यों?

Hike in BLO Salary: देशभर में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर लगातार विवाद बढ़ रहा है। एक तरफ विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग पर सत्ताधारी पार्टी के साथ मिलकर लाभ पहुंचाने का आरोप लगा रही हैं, तो दूसरी तरफ वो कर्मचारी जो इस पूरी प्रक्रिया को जमीन पर उतारते हैं. बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) वे भी अपने ऊपर बढ़ते कार्यभार और दबाव की शिकायत कर रहे हैं। इसी बीच बीएलओ और सुपरवाइजर के मानदेय में बढ़ोतरी की खबर सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर नई बहस शुरू हो गई है।

BLO के मानदेय में बड़ी बढ़ोतरी, पर डेट पर उठ रहे सवाल

न्यूज़ एजेंसी ANI द्वारा साझा किए गए एक पत्र के अनुसार चुनाव आयोग ने बीएलओ का मानदेय ₹6000 से बढ़ाकर ₹12,000 कर दिया है।

इसी तरह बीएलओ सुपरवाइजर का मानदेय ₹12,000 से बढ़ाकर ₹18,000 कर दिया गया है। इसके अलावा मतदाता सूची में संशोधन या सुधार से जुड़े कार्यों पर इंसेंटिव भी 1,000 रुपये से बढ़ाकर 1,800 रुपये कर दिया गया है।

हालाँकि इस घोषणा के साथ सबसे बड़ा सवाल इसकी तारीख को लेकर उठा है। दस्तावेज़ पर 2 अगस्त 2025 की तारीख दर्ज है। जब इसे खोजा गया तो PIB की उसी तारीख की रिलीज भी उपलब्ध मिली। इससे यह बात सामने आई कि ये फैसला उसी समय लिया गया था, लेकिन अब जबकि SIR को लेकर पूरे देश में चर्चा और विरोध हो रहा है, इस फैसले के सामने आने के समय को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज है कि यह घोषणा बीएलओ के बढ़ते असंतोष को शांत करने की कोशिश तो नहीं है।

SIR के दौरान बीएलओ की बढ़ती परेशानियाँ

पिछले कुछ समय में बीएलओ लगातार शिकायत कर रहे हैं कि SIR की प्रक्रिया इतनी भारी और समय लेने वाली है कि उनके लिए दैनिक जीवन संभालना मुश्किल हो गया है।

कई बीएलओ का कहना है कि:

  • लगातार फील्ड पर रहना पड़ता है

  • घर-परिवार के लिए समय नहीं बचता

  • काम का प्रेशर मानसिक तनाव बढ़ा रहा है

सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक फतेहपुर की है, जहाँ सुधीर कोरी नामक BLO ने कथित कार्यभार के दबाव के चलते जान दे दी। परिवार ने गंभीर आरोप लगाए, जिसके बाद यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी गरमाया। विपक्ष के नेता लगातार आरोप लगा रहे हैं कि BLO पर गलत तरीके से वोटर डेटा हटाने या बदलने का दबाव डाला जा रहा है।

अफसरों की अलग-अलग रणनीतियाँ: दबाव भी… प्रोत्साहन भी

जहाँ एक ओर BLO भारी दबाव और तनाव झेल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई जिलों में अधिकारी बीएलओ को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं।

  • कई जिलों में समय से काम पूरा करने वाले BLO को DM द्वारा सम्मानित किया जा रहा है

  • कुछ जगहों पर जंगल सफारी या अन्य टूर पैकेज का ऑफर दिया जा रहा है

  • कहीं अतिरिक्त इंसेंटिव और सुविधाओं का आश्वासन भी दिया जा रहा है

अधिकारियों का कहना है कि SIR एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रक्रिया है और समय पर पूरा होना जरूरी है, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्यरत BLO का मानना है कि कार्यभार और संसाधन दोनों असंतुलित हैं।

डेट और टाइमिंग पर क्यों खड़ा हुआ विवाद?

सबसे बड़ा विवाद इसलिए उठ रहा है क्योंकि:

  • मानदेय बढ़ाने वाला पत्र 2025 का पुराना बताया जा रहा है

  • इसे अब सार्वजनिक किया गया है, जब तनाव और विरोध अपने चरम पर हैं

  • इससे लोगों में यह धारणा बन रही है कि यह घोषणा वर्तमान विवाद को शांत करने की कोशिश मात्र है

हालाँकि चुनाव आयोग की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।

निष्कर्ष

BLO देश के चुनावी ढांचे का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे ही वोटर सूची बनाने, सुधारने और सत्यापित करने का सबसे बड़ा काम करते हैं। ऐसे में यदि उन पर दबाव, तनाव या जोखिम बढ़ता है तो यह पूरी व्यवस्था को प्रभावित करता है। मानदेय बढ़ाने का फैसला स्वागत योग्य है, लेकिन डेट, टाइमिंग और पारदर्शिता पर उठे सवालों के जवाब मिलना अभी बाकी है

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